आज तन्हाईयाँ भी चुप बैठी हैं मेरी
आज तन्हाईयाँ भी चुप बैठी हैं मेरी
आज तलक इनसे ही गुफ़्तगू करता रहा
जनता हूँ अब तुम नहीं हो मेरी
फिर भी तुम्हारी आरज़ू करता रहा
एक बार दिल खोल दूँ सामने तुम्हारे
एक अरसे से ये जुत्सजू करता रहा
इजहार ए मुहब्बत तुमसे करनी थी
मैं जाने आइने के सामने क्यूँ करता रहा
Comments
Post a Comment